मध्यकालीन यूरोपीय इतिहास के अध्ययन से पता चलता है कि यह काल सामंती प्रवृतियों का काल था। इस काल 1 न तो. व्यापार-वाणिज्य गतिशील था और न ही धर्म का स्वरूप उदार एवं मानवीय था । पृथ्वी के विषय में ज्ञान अत्यल्प एवं अंधविश्वास से युक्त था । भौगोलिक ज्ञान सीमित था अतः सामुद्रिक व्यापार भी सीमित था। उस समय लोगों को विश्वास था कि अधिकतम दूरी पर जाने पर पृथ्वी के किनारों से गिरकर अनन्त में विलीन हो जाना पड़ेगा । यही युग अंध कार युग के नाम से जाना जाता है ।
अंधकार युग से बाहर आने में भौगोलिक खोजों का महत्वपूर्ण स्थान है । भौगोलिक खोजों के कारण आपसी जानकारी मिली, लोग एक दूसरे के निकट आए । एशिया और यूरोप की सभ्यताओं का मेल हुआ और एक दूसरे की सभ्यता और संस्कृति से परिचय हुआ। ईसाई धर्म का प्रचार अफ्रिका, एशिया तथा अमेरिका में किया गया । इस धर्म के व्यापक प्रचार ने चर्च की प्रभुसत्ता को कम किया । भौगोलिक खोजों के कारण हुई ज्ञान में वृद्धि से धर्म पर भी प्रभाव पड़ा कितने ही स्थलों पर अंधविश्वासों का खंडन हुआ। इस प्रकार लोग अंधकार युग से बाहर आए।