अपवाह वेग के आधार पर ओम के नियम का समीकरण $\overrightarrow{ J }=\sigma \overline{ E }$ प्राप्त कीजिए।
$($जहाँ संकेतों के सामान्य अर्थ हैं$)$
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$l$ लम्बाई के चालक पर विचार कीजिये जिसका क्षेत्रफल $A$ है।
इस चालक में प्रति इकाई आयतन आवेश वाहक, मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या, अर्थात् संख्या घनत्व, $n$ है;
अतः चालक में स्थित आवेश वाहकों की संख्या $nA l$ होगी, जहाँ $A l$ चालक का आयतन है।
यदि प्रत्येक आवेश वाहक पर आवेश $e$ है और इन आवेश वाहकों का अपवाह वेग $($Drift Velocity$)\ V _{ d }$ है, तो चालक के आयतन में आवेश वाहकों का कुल आवेग होगा $-$
$\Delta q = nAle \text { } \Delta t =\frac{l}{v_{ d }}$ समय में
इस चालक के अनुप्रस्थ काट$-$क्षेत्र से गुजरेगा। इसलिये चालक में प्रवाहित धारा का मान होगा
$I=\frac{\Delta q}{\Delta t}......(1)$
समीकरण $(1)$ में मान रखने पर
$I =\frac{ nAle }{l / v_{ d }}= nA v_{ d } e......(2)$
हम जानते हैं धारा घनत्व
$ j =\frac{ I }{ A }=\frac{n A v_d e }{ A }$
$j = n v_{ d } e $
सदिश रूप में $\overrightarrow{ j }=- ne \overrightarrow{v_{ d }}\ (\because$ इलेक्ट्रॉन पर आवेश $- e$ है $)$
यदि चालक पर आरोपित विद्युत क्षेत्र $\vec{E}$ है तथा आवेश वाहकों $($इलेक्ट्रॉनों$)$ का औसत संघट्टकाल $\vec{\tau}$ है तो अपवाह वेग
$v_{ d } =\frac{- e \overrightarrow{ E }}{ m } \vec{\tau}$
$\therefore \overrightarrow{ j } =- ne \left(\frac{- e \overrightarrow{ E }}{ m } \vec{\tau}\right)$
$ =\left(\frac{ ne ^2 \vec{\tau}}{ m }\right) \overrightarrow{ E }$
अतः $\overrightarrow{ j }=\sigma \overrightarrow{ E }......(3)$
जहाँ $\sigma=\frac{ ne ^2 \vec{\tau}}{ m }$ पदार्थ की चालकता कहलाती है।
समीकरण $(3) \overrightarrow{ j }$ व $\vec{E}$ के मध्य उपरोक्त सम्बन्ध ओम के नियम का ही एक एक रूप है।
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सेल के आन्तरिक प्रतिरोध की परिभाषा दीजिए।दो सेल जिनके विद्युत वाहक बल क्रमष: $\varepsilon_1$, $\varepsilon_2$ आन्तरिक प्रतिरोध क्रमष: $r _1$ व $r _2$ है, श्रेणीक्रम मे संयोजित किये गये है। इस संयोजन को एक बाह्य प्रतिरोध $R$ जोडा गया है |प्रतिरोध $R$ में से प्रवाहित होने वाली धारा $I$ ज्ञात कीजिए।