किसी भी अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं। प्रत्येक क्षेत्र का विकास अन्य क्षेत्र पर निर्भर है क्योंकि प्रत्येक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रक को वस्तुएँ अथवा सेवाएँ बेचता है तथा अपने स्वयं की जरूरत की वस्तुएँ अथवा सेवाएँ अन्य क्षेत्रक से खरीदता है। प्राथमिक क्षेत्रक मुख्यतः, न कि पूर्णतया, प्रकृति एवं प्राकृतिक कारकों पर निर्भर करता है। द्वितीयक क्षेत्र की गतिविधियों में प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली द्वारा अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है। द्वितीयक क्षेत्रक की माँग द्वारा प्राथमिक क्षेत्रक प्रभावित होता है तथा द्वितीयक क्षेत्रक पूर्णतः प्राथमिक क्षेत्रक के उत्पादों पर निर्भर रहता है। इसी प्रकार तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद करती हैं।