भारत में अदालतों की संरचना को स्पष्ट कीजिए।
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भारत में अदालतों की संरचना

भारत में तीन अलग-अलग स्तर पर न्यायपालिकाएँ होती हैं। यथा-
(1) सबसे निचले स्तर की न्यायपालिकाएँ- सबसे निचले स्तर पर बहुत सारी अदालतें होती हैं। उन्हें अधीनस्थ न्यायालय या जिला अदालतें कहा जाता है। ये अदालतें जिले या तहसील स्तर पर किसी शहर में होती हैं। इन्हें अलग-अलग नामों से सम्बोधित किया जाता है। इन्हें ट्रायल कोर्ट या जिला न्यायालय, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, प्रधान न्यायिक मजिस्ट्रेट, मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, सिविल जज न्यायालय आदि नामों से बुलाया जाता है। ये न्यायालय बहुत तरह के मामलों की सुनवाई करते हैं।
(2) उच्च न्यायालय- मध्य स्तर पर उच्च न्यायालय है। प्रत्येक राज्य का एक उच्च न्यायालय होता है। यह अपने राज्य की सबसे ऊँची अदालत होती है।
(3) सर्वोच्च न्यायालय- उच्च न्यायालयों से ऊपर सर्वोच्च न्यायालय होता है। यह देश की सबसे बड़ी अदालत है जो नई दिल्ली में स्थित है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले देश की बाकी सारी अदालतों को मानने होते हैं।
इस प्रकार निचली अदालत से ऊपरी अदालत तक भारत की न्यायपालिका की संरचना एक पिरामिड जैसी लगती है। भारतीय न्यायपालिका एकीकृत न्यायिक व्यवस्था है। इसमें ऊपरी अदालतों के फैसले नीचे की सारी अदालतों को मानने होते हैं तथा नीचे की अदालतों के निर्णयों के विरुद्ध ऊपर की अदालतों में न्याय हेतु अपील की जा सकती है।
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