कानून के शासन को लागू करने के लिए भारत में एक न्याय व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था में बहुत सारी अदालतें हैं जहाँ नागरिक न्याय के लिए जा सकते हैं। राज्य का अंग होने के नाते न्यायपालिका भारतीय लोकतन्त्र की व्यवस्था बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।
न्यायपालिका की भूमिका
या
न्यायपालिका के कार्य
न्यायपालिका के कार्यों को मोटे तौर पर निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) विवादों का निपटारा- न्यायिक व्यवस्था नागरिकों, नागरिक व सरकार, दो राज्य सरकारों और केन्द्र व राज्य सरकारों के बीच पैदा होने वाले विवादों को हल करने की क्रियाविधि मुहैया कराती है।
(2) न्यायिक समीक्षा- संविधान की व्याख्या का अधिकार मुख्य रूप से न्यायपालिका के पास ही होता है। यदि न्यायपालिका को ऐसा लगता है कि संसद द्वारा पारित किया गया कोई कानून संविधान के आधारभूत ढाँचे का उल्लंघन करता है तो वह उस कानून को रद्द कर सकती है। इसे न्यायिक समीक्षा कहा जाता है।
(3) कानून की रक्षा और मौलिक अधिकारों का क्रियान्वयन- यदि देश के किसी भी नागरिक को ऐसा लगता है कि उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है तो वह सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में जा सकता है।