भारत में चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र ढंग से होता है। लोग चुनावी नतीजों को स्वीकार करने की मूल बाध्यता है या मूल पैमाना है। बड़े-बड़े नेता भी चुनाव हार जाते हैं। 2009 में रामविलास पासवान जैसे दिग्गज नेता भी चुनाव हार गए। यही लोकतंत्र का तकाजा है । निर्वाचन आयोग के सशक्त पर्यवेक्षक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया भी चुनाव परिणामों की वैधता पर कड़ी नजर रखते हैं। यही कारण है कि चुनाव परिणाम घोषित होने पर उम्मीदवार उसे स्वीकार कर लेता है, यह संवैधानिक बाध्यता भी है।