भारत में मानवीय-पूँजी निर्माण के विकास का परिचय दें।
स्वाध्याय
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भारत की विकास योजनाओं का अंतिम उद्देश्य मानवीय पूँजी-निर्माण अथवा मानवीय साधनों का विकास करना है ताकि दीर्घकाल में आर्थिक सुधारों को सफल बनाया जा सके । देश में कुछ वर्षों में मानवीय साधनों के विकास में सराहनीय सफलता मिली है। जिसका पता नीचे दिए गए तालिका से लगता है।
                           भारत में मानवीय विकास के मूल सूचक
वर्षजीने की औसत आयुसाक्षरता दर (प्रतिशत)जन्म-दर (प्रति हजार)मृत्यु-दर (प्रति हजार)शिशु मृत्यु-दर पर (प्रति हजार) जन्म1993-94 के मूल्यों प्रति व्यक्ति आय (रुपये)
1951$32.1$$18.3$$39.9$$27.4$1463687
1961$41.3$$28.3$$41.7$$22.8$1464429
1971$45.6$$34.5$$36.9$$14.9$1295002
1981$54.4$$43.6$$33.9$$12.5$1105352
1991$55.9$$52.2$$29.5$$9.8$807321
2001$63.8$$65.4$$25.8$$8.1$6310306

इस तालिका से स्पष्ट है कि भारत में योजना काल में जीने की औसत आयु में वृद्धि हुई है । साक्षरता की दर भी बढ़ी है, जन्मदर, मृत्यु दर में कमी हुई है। प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि हुई है। इस प्रकार आँकडे इस बात के सूचक हैं कि देश में मानवीय साधनों के विकास में सराहनीय प्रगति हुई है।
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