संसाधन-नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है, इसके लिए आवश्यक क्रिया-कलाप की आवश्यकता होती है। ये क्रिया-कलाप संसाधन-नियोजन के सोपान होते हैं। संसाधन-नियोजन के सोपानों को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है-
देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कराने के लिए सर्वेक्षण कराना।
सर्वेक्षणोपरान्त, मानचित्र तैयार कराना एवं संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक आधार पर आकलन करना।
संसाधन विकास योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल एवं संस्थागत नियोजन की रूपरेखा तैयार करना।
राष्ट्रीय विकास योजना एवं संसाधन विकास योजनाओं के मध्य समन्वय स्थापित करना। हमारे देश में स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद से ही संसाधन-नियोजन के लक्षित उद्देश्यों को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है, इस संदर्भ में भारत सरकार प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही प्रयासरत है।
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