भारतीय अर्थतंत्र में कृषि का निम्नलिखित महत्त्व है?
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भारतीय अर्थतंत्र में कृषि का निम्नलिखित महत्त्व है।
भारत की 70% आबादी रोजगार और अजीविका के लिए कृषि पर आश्रित है।
देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद में कृषि का योगदान 22% ही है। फिर भी, बहुत सारे उद्योगों को कच्चा माल कृषि उत्पाद से ही मिलता है।
कृषि उत्पाद से ही देश की इतनी बड़ी जनसंख्या को खाद्यान्न की आपूर्ति होती है। अगर ऐसा न हो तो खाद्यान्न आयात करना पड़ेगा। आज देश खाद्यान्न में आत्म निर्भर है। इतना ही नहीं, विकट परिस्थिति के लिए खाद्यान्न का अच्छा भंडारण भी है।
कृषि के अनेक उत्पाद में भारत विश्व में पहले, दूसरे एवं तीसरे स्थान पर है।
अनेक कृषि उत्पाद का भारत निर्यातक है जिससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।
कृषि ने अनेक उद्योगों को विकसित होने का अवसर प्रदान किया है।
भारतीय कृषि की विशेषताएं भारत का एक बड़ा भू-भाग कृषि योग्य है। यहाँ की जलवायु और उपजाऊ मिट्टी कृषि कार्य को बढ़ावा प्रदान करते हैं।
भारत में कहीं एक फसल, कहीं दो फसल और कहीं तीन-तीन फसल तक उगाई जाती है। भारत में फसलों की अदला-बदली भी की जाती है, यहाँ अनाज की फसलों के बाद दलहन की खेती की जाती है। इससे मिट्टी में उर्वरक शक्ति बनी रहती है। यहाँ मिश्रित कृषि का भी : प्रचलन है जिसमें गेहूँ, चना और सरसों की खेती एक साथ की जाती है।
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