विभिन्न कल-कारखानों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है । इन कारखानों में जल की खपत बढ़ती जा रही है। नगरों में पाइपों द्वारा जल का वितरण होता है । लापरवाही से नलकों को खुला छोड़ देते हैं । जहाँ एक लीटर जल का उपयोग करते हैं, वहीं 10 लीटर बेकार बहा देते हैं। पहले जहाँ एक लोटा जल से शौच कर्म पूरा हो जाता था, वहीं अब फ्लश के कारण 5 से 10 लीटर तक जल खर्च करना पड़ता है। इधर भूगर्भीय जल का उपयोग तो बढ़ा लेकिन भू-गर्भीय जल के स्तर को बचाये रखने या ऊपर करने का प्रयत्न नहीं हुआ । ये ही कारण हैं कि भूगर्भीय जल में कमी आ रही है।