(a) विषमबीजाणुता बीज स्वभाव के विकास में महत्वपूर्ण मानी जाती है। विषमबीजाणुता स्थलीय पौधों द्वारा दो अलग आमाप व लिंगों के बीजाणुओं का उत्पादन करना होता है। डेवोनियन काल में लिंग विभेदन के समय उद्विकास की प्रक्रिया के दौरान विषमबीजाणुता उद्विकास समबीजाणुता से बहुत से पादप समूहों द्वारा स्वछंदता से हुआ था। विषमबीजाणुद पौधे लघुबीजाणु नामक छोटे बीजाणु बनाते हैं जो अंकुरण करके नर युग्मकोद्भिभ् बनाते हैं या छोटा नर युग्मकोद्भिद् अपने अंदर ही रखते हैं तथा गुरुबीजाणु नामक बड़े बीजाणु अंकुरण कर मादा युग्मकोद्भिद् बनाते हैं या मादा युग्मकोदिभद् अपने अंदर ही रखते हैं।