18वीं शताब्दी से ब्रिटेन की जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई जिसके कारण खाद्यान्न की मांग बढ़ने लगी। शहरों के विकास और औद्योगीकरण ने भी खाद्यान्नों की मांग बढ़ा दी। खाद्यानों की बढ़ती मांग ने कृषि उत्पादों की मांग में तेजी ला दी। इससे कृषि उत्पादों का मूल्य बढ़ गया। इसका लाभ बड़े कृषकों एवं भूस्वामियों ने उठाया। अपने उत्पादों को बेचने के लिए इन दोनों ने सरकार पर दबाव डालकर ब्रिटेन में कॉर्न लॉ द्वारा मक्का के आयात को प्रतिबंधित करवा दिया। फलतः इंगलैंड में भू-स्वामी कृषि उत्पादों को ऊंची कीमत पर बेचकर लाभ कमाने लगे। दूसरी ओर अनाज की बढ़ी कीमतों से उद्योगपति और शहरों में रहने वाले लोग त्रस्त हो गए। इन लोगों ने कॉर्न लॉ का जबर्दस्त विरोध किया और इसे वापस लेने की मांग की। सरकार को बाध्य होकर कॉर्न लॉ को समाप्त करना पड़ा तथा खाद्यान्न के आयात की अनुमति देनी पड़ी।