चालक के सिरों पर वैधुत विभवान्तर स्थापित करने पर इसमें आवेश का प्रवाह सुगमता से हो जाता है, जबकि ऐसा अचालक में नहीं होता है। चालकों में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत अधिक होती है जबकि अचालकों में यह संख्या नगण्य होती है।
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$(a)$ आवेश $4 \times 10^{-7}C$ के कारण इससे $9\ cm$ दूरी पर स्थित किसी बिंदु $P$ पर विभव परिकलित कीजिए।
$(b)$ अब, आवेश $2 \times 10^{-9} C$ को अनंत से बिंदु $P$ तक लाने में किया गया कार्य ज्ञात कीजिए। क्या उत्तर जिस पथ के अनुदिश आवेश कोको लाया गया है उस पर निर्भर करता है?
$\overrightarrow{r_1}$ तथा $\overrightarrow{r_2}$ पर क्रमशः $Q_1$ तथा $Q_2$ दो बिन्दु आवेशों के कारण किसी बिन्दु पर जिसका स्थिति सदिश $\overrightarrow{ r }$ है। वैधुत विभव $\overrightarrow{ r }$ के लिए व्यंजक लिखिए।
+ 10C एवं 10µC के दो बिन्दु आवेश वायु है। - परस्पर 40 cm की दूरी पर रखे हैं। (a) निकाय की वैधुत स्थितिज ऊर्जा की गणना कीजिए। के मान लीजिए कि अनन्त पर विधुत स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है। (b) निकाय के लिए समविभव पृष्ठ खर्खीचिये। (c) निकाय के दोनों आवेशों को अनन्त तक दूर करने। कितना कार्य करना होगा?