चोक कुण्डली का कार्य सिद्धान्त निम्न पर आधारित है :
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  • 1
    यदि $L C R$ परिपथ में $L=8.0$ हेनरी, $C=0.5 \mu, R=100 \Omega$ श्रेणीक्रम में हैं, तो अनुनादी आवृत्ति होगी
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    $L-R$ परिपथ की शक्ति गुणांक होता है
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  • 3
    किसी प्रत्यावर्ती परिपथ में धारा $\mathrm{i}=5$ coswt एम्पियर तथा विभव $\mathrm{V}=200 \sin w t$ वोल्ट है, परिपथ में शक्ति हानि है
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    संधारित्र का शक्ति गुणांक लगभग है
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    किसी LCR परिपथ में ऊर्जा का क्षय होता है
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  • 7
    एक उच्चायी परिमापित्र में कुण्डलियों में फेरों की संख्या में प्रथांमक में $\mathrm{N} 1$ तथा द्वितीयक में $\mathrm{N} 2$ तक
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  • 9
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  • 10
    प्रतिघात का मात्रक होता है
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