Experience the future of education. Simply download our apps or reach out to us for more information. Let's shape the future of learning together!No signup needed.*
एक परिनालिका में i धारा प्रवाह से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र B है। परिनालिका की लम्बाई व फेरों की संख्या को दुगुना करने पर, वहीं चुम्बकीय क्षेत्र प्राप्त करने के लिए प्रवाहित धारा करनी पड़ेगी -
एक समान स्थिर चुम्बकीय क्षेत्र वाले प्रदेश में एक आवेशित कण चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के प्रति समान्तर दिशा में अपने वेग के साथ प्रवेश करता है। इस कण की चाल होगी-
एक धारावाही परिनालिका में चुम्बकीय क्षेत्र B है। फेरों की संख्या अपरिवर्तित रखते हुए यदि परिनालिका की लम्बाई तथा प्रवाहित धारा का मान दुगुना कर दिया जाये, तो परिनालिका में चुम्बकीय क्षेत्र का मान होगा-
दो समरूप कुण्डलियों में समान विद्युत धारा बहती है। इनके केन्द्र उभयनिष्ठ तथा तल परस्पर लम्बवत् हैं। एक कुण्डली के कारण इसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र B है तो उभयनिष्ठ केन्द्र पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र होगा -