(d) डार्विन के अनुसार - जैविक विकास अन्तरजातीय प्रतिस्पर्धा के कारण होता है। एक ही जाति के सदस्य गुणों में भिन्नता अभिव्यक्त करते हैं ये गुण उन्हें प्राकृतिक परिस्थितियों (जलवायु, भोजन, शरीरिक कारक आदि) में बेहतर उत्तरजीविता प्रदान करते हैं। ये जाति निम्न गुणों वाली वाली जातियों की तुलना में ऐसी प्राकृतिक परिस्थितियों में बेहतर विकास करती है। अतः ये प्रकृति द्वारा उत्तरजीविता हेतु चयनित होते हैं। इसे प्राकृतिक चयन कहा जाता है तथा इसे विकास की प्रक्रिया के लिए इंगित किया जाता है।