दो समान्तर सुचालक तारों में धारा एक ही दिशा में प्रवाहित हो रही है तो वे-
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एक-दूसरे पर कोई बल नहीं लगायेंगे
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    एक आवेशित कण चुम्बकीय क्षेत्र में गति करते समय परिणामी बल अनुभव करता है
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    चल कुण्डली धारामापी में प्रवाहित धारा I और विक्षेप $\theta$ में सम्बन्ध है -
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    एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र B में एक इलेक्ट्रॉन नियत वेग से घुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर गति करता है। इलेक्ट्रॉन पर लगने वाला बल है-
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    दो लम्बे सीधे तार समान्तर रखे गये हैं और उनके मध्य दूरी 2R है तथा प्रत्येक तार में विपरीत दिशा में धारा बह रही है। दोनों के मध्य एक विन्दु पर, जिसकी दूरी प्रत्येक तार से R है. चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण है-
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    चुम्बकीय क्षेत्र गतिषील आवेष से उत्पन्न हो सकता है-
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  • 8
    यदि किसी आवेशित कण का आरम्भिक वेग चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् है तो उसका पथ होगा
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  • 9
    दो समरूप कुण्डलियों में समान विद्युत धारा बहती है। इनके केन्द्र उभयनिष्ठ तथा तल परस्पर लम्बवत् हैं। एक कुण्डली के कारण इसके केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र B है तो उभयनिष्ठ केन्द्र पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र होगा -
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  • 10
    सीधे धारावाही चालक के समीप चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा होगी
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