दो लगातार तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य के अंतराल को अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) कहते है। सिनेप्स पर विद्युत् आवेग को एक तंत्रिका कोशिका से दूसरी तंत्रिका कोशिका या पेशी तक रासायनिक अणुओं(स्नायुसंचारी) के रूप में भेजा जाता है। तंत्रिका कोशिका के द्रुमाकृति पर उत्पन्न विद्युत आवेग तंत्रिकांक्ष (एकसॉन) में होता हुआ अंतिम सिरे तक पहुँचता है। एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन करता है। यह रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स (सिनोण्टिक दरार) को पार करते हैं और अगली तंत्रिका कोशिका की द्रुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं। अंततः इसी प्रकार का एक अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) ऐसे आवेगों को तंत्रिका कोशिका से अन्य कोशिकाओं जैसे कि पेशी कोशिकाओं या ग्रंथि तक ले जाते हैं।