हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?
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जब अगरबत्ती की गंध हमारी नाक में पहुँचती है तो नाक में विद्यमान घ्राण ग्राही इसके अस्तित्व को प्राप्त कर संवेदी तंत्रिका कोशिका को पहुँचती है जो इसे आगे हमारे मस्तिष्क तक पहुंचा देती है। हमारे अग्रमस्तिष्क में स्थित गंध के लिए विशेक्ष क्षेत्र घ्राण केन्द्र (smell centre) होता है। यह गन्ध से सम्बन्धित सूचनाओं को प्राप्त करता है। इसके बाद उस केन्द्र के एक अन्य भाग में उन सूचनाओं का विश्लेषण होता है। पहले से गन्ध के सम्बन्ध में एकत्रित सूचनाओं से प्राप्त गन्ध सम्बन्धी सूचना का मिलान किया जाता है। यदि गन्ध के सम्बन्ध में प्राप्त सूचना पहले के अनुभव से एकत्रित सूचनाओं में से अगरबती की गन्ध से मेल खाती है तो मस्तिष्क यह निष्कर्ष निकालता है कि प्राप्त सूचना अगरबती की गन्ध से सम्बन्धित है। इस प्रकार हमें अगरबत्ती की गन्ध का पता चलता है।
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