एरिनपुरा में विदोह-21 अगस्त, 1857 ई. को | एरिनपुरा में विद्रोह प्रारंभ हो गया। जोधपुर लीजियन ने मोती खाँ, सूबेदार शीतल प्रसाद एवं तिलक राज के नेतृत्व में विद्रोह का बिगुल बजा दिया। वे क्रांति के नेताओं के आदेशानुसार 'चलो दिल्ली, मारो फिरंगी' के नारे लगाते हुए |दिल्ली की ओर चल पड़े। आठवा के ठाकुर कुशाल सिंह रास्ते में इन सैनिकों से मिले और इन्हें अपने साथ अउवा ले गए।