गुड़िया और पूजा पढ़ाई करना चाहती थी, पर उनके माता-पिता उन्हें पढ़ाना नहीं चाहते थे। इसके लिए एक दिन गुड़िया ने अपने माता-पिता का घर में बंद कर 13 किमी. पेदल चलकर उत्प्रेरण केन्द्र नोखा रोहतास चली गयी और अपना नामांकन करा लिया। इस बारे उसके माता-पिता को दो दिन बाद पता चला और वे उसे लाने उत्प्रेरण केन्द्र भी गए पर गुड़िया वापस नहीं आना चाहती थी और आखिरकार गुड़िया के पिता उसके जिद के आगे झुक गए और पढ़ने की अनुमति दे दी।
इसी तरह पूजा भी पढ़ाई करना चाहती थी। अपने उम्र के बच्चों को विद्यालय जाते देख उसे भी विद्यालय जाने की इच्छा होती थी और इसके लिए वह अपने घर का सारा काम निपटाकर चोरी-छीपे एक वर्ष तक लगातार मध्य विद्यालय जाती रही और अंत में उसने पुलिस में कार्यरत अपने पिताजी को मना लिया।