प्रतिवर्ती क्रियाएँ मस्तिष्क के द्वारा नियंत्रण में नहीं होतीं हैं। ये मेरूरज्जू के द्वारा नियंत्रित पेशियों की अनैच्छिक क्रियाएँ होती हैं जो प्रेरक के प्रत्युत्तर में होती हैं। ये क्रियाएँ चाहे मस्तिष्क की इच्छा के बिना होती हैं पर मस्तिष्क तक इसकी सूचना पहुँचती है लेकिन प्रतिवर्ती क्रिया सम्पूर्ण होने के तत्पश्चात मस्तिष्क में सोचने-विचारने की प्रक्रिया होती है।