पर्यावरण में प्रत्येक परिवर्तन की अनुक्रिया से एक समुचित गति उत्पन्न होती है जो हमारे आसपास होने की स्थिति में हमें प्रभावित करती है। हमारे शरीर के कुछ अंग उन सूचनाओं को इकट्ठा करते हैं जिन्हें ग्राही अंग या संवेदी अंग या ज्ञानेन्द्रियाँ (sense organs) कहते हैं और वे पर्यावरण के परिवर्तन की सूचना को केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक भेज देते हैं। तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क और सुष्मुना उचित संदेश शरीर के विभिन्न अंगों और ग्रंथियों को प्रेषित कर देते हैं। यदि ग्राही उचित प्रकार से कार्य न कर रहे हों तो वे पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों को नहीं समझ पाएँगे और फिर हमरा तंत्रिका तंत्र उनके प्रति ठीक प्रकार से कोई प्रतिक्रिया नहीं कर सकेगा।