$(i)$ अभिक्रिया की आण्विकता को परिभाषित कीजिए।
$(ii)$ अभिक्रिया के वेग पर उत्प्रेरक की उपस्थिति के प्रभाव को समझाइए।
$(iii)\ 300\ K$ पर एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया में अभिक्रियक की प्रारंभिक सांद्रता $1.0 \times 10^{-2}\ mol\ L^{-1}$ थी, जो $300\ K$ पर $30$ मिनट पश्चात् घटकर $0.5 \times 10^{-2}\ mol\ L^{-1}$ रह गई। $300\ K$ पर अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की गणना कीजिए। $[\log 20.3010]$
(माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2022)
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$(i)$ प्राथमिक अभिक्रिया में भाग लेने वाली स्पीशीज $($परमाणु, अणु या आयन$)$ की संख्या जो एक साथ टक्कर करके रासायनिक अभिक्रिया सम्पन्न करती हैं, उसे अभिक्रिया की आण्विकता कहते हैं।
$(ii)$ वह पदार्थ जो अभिक्रिया के वेग को बढ़ा देता है लेकिन वह स्वतः रासायनिक रूप से अपरिवर्तित रहता है उसे उत्प्रेरक कहते हैं तथा इस क्रिया को उत्प्रेरण कहते हैं।
उदाहरण $-\ce{2 KClO _{3(s)} \xrightarrow{ MnO _2} 2 KCl _{( s )}+3 O _2(g)}$
उत्प्रेरक के कारण अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा कम हो जाती है जिससे अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है क्योंकि इससे ऊर्जा अवरोध कम हो जाता है तथा यह अभिक्रिया को कम ऊर्जा का वैकल्पिक पथ प्रदान करता है।
$(iii)$ प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए $-\log \frac{\left[R_1\right]}{\left[R_2\right]}=\frac{k\left(t_2-t_1\right)}{2.303}$
या $k=\frac{2.303}{t_2-t_1} \log \frac{\left[ R _1\right]}{\left[ R _2\right]}$ मान रखने पर$-$
$ k =\frac{2.303}{(30 min-0 min)} \log \frac{1.0 \times 10^{-2} mol L ^{-1}}{0.5 \times 10^{-2} mol L ^{-1}}$
$ =\frac{2.303}{30} \log 2\ min^{-1}$
$=\frac{2.303}{30} \times 0.3010$
$ =0.0231\ min^{-1}$
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$(i)$ अभिक्रिया की कोटि को परिभाषित कीजिए।
$(ii)$ वेग स्थिरांक पर अभिक्रियक की सांद्रता के प्रभाव को समझाइए ।
$(iii)$ एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए $500\ K$ तथा $600\ K$ पर वेग स्थिरांक क्रमशः $0.03s^{-1}$ तथा $0.06 s^{-1}$ हो, तो सक्रियण ऊर्जा की गणना कीजिए। $[R = 8.314 JK^{-1} mol^{-1}, \log 2 = 0.3010]$