$(i)$ अभिक्रिया की कोटि को परिभाषित कीजिए।
$(ii)$ वेग स्थिरांक पर अभिक्रियक की सांद्रता के प्रभाव को समझाइए ।
$(iii)$ एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए $500\ K$ तथा $600\ K$ पर वेग स्थिरांक क्रमशः $0.03s^{-1}$ तथा $0.06 s^{-1}$ हो, तो सक्रियण ऊर्जा की गणना कीजिए। $[R = 8.314 JK^{-1} mol^{-1}, \log 2 = 0.3010]$
(माध्य. शिक्षा बोर्ड, 2022)
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$(i)$ किसी अभिक्रिया के प्रायोगिक वेग समीकरण $($वेग नियम व्यंजक$)$ में अभिकारकों की सान्द्रता के घातांकों का योग उस अभिक्रिया की कोटि कहलाता है अथवा किसी अभिक्रिया में अभिकारक अणुओं की संख्या, जिनकी सान्द्रता में परिवर्तन होता है, उसे अभिक्रिया की कोटि कहते हैं।
$(ii)$ वेग स्थिरांक, अभिक्रियक की सान्द्रता पर निर्भर नहीं करता क्योंकि यह प्रत्येक अभिक्रिया के लिए निश्चित ताप पर निश्चित होता है तथा केवल की प्रकृति अभिक्रिया की कोटि तथा ताप पर निर्भर करता है।
$(iii)$ सूत्र $-\log \frac{k_2}{k_1}=\frac{E_a}{2.303 R}\left[\frac{T_2-T_1}{T_1 T_2}\right]$ के अनुसार
दिया गया है $- k _1=0.03 s^{-1} \cdot k _2=0.06 s^{-1}, R =8.3 l 4$
$JK ^{-1} mol^{-1}, T_1=500 K$ तथा $T _2=600 K$
मान रखने पर $-\log \frac{0.06}{0.03} =\left[\frac{ E _{ a }}{2.303 \times 8.314 JK ^{-1} mol^{-1}}\right]\left[\frac{600-500}{600 \times 500}\right]$
$0.3010 =\frac{ E _{ a } \times 3.33 \times 10^{-4}}{19.15}$
$E _{ a } =\frac{0.3010 \times 19.15}{3.33 \times 10^{-1}}$
$E _{ a } =17309.7 J$
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    $(i)$ अभिक्रिया की आण्विकता को परिभाषित कीजिए।
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    $(iii)\ 300\  K$ पर एक प्रथम कोटि की अभिक्रिया में अभिक्रियक की प्रारंभिक सांद्रता $1.0 \times 10^{-2}\ mol\ L^{-1}$ थी, जो $300\ K$ पर $30$ मिनट पश्चात् घटकर $0.5 \times 10^{-2}\ mol\  L^{-1}$ रह गई। $300\ K$ पर अभिक्रिया के वेग स्थिरांक की गणना कीजिए। $[\log 20.3010]$
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