इन दोनों स्थितियों में बच्चों और औरतों को बचाने के लिए सबसे आवश्यक है कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को संतुलित भोजन दिया जाए। उनके भोजन में हरी सब्जियाँ, दाल, दूध, फल, चावल, रोटी आदि सभी कुछ शामिल हो। उन्हें जो भी आवश्यक टीके हो वो लगवाए जाएँ। उन्हें आयरन की गोलियाँ दी जाए, जिससे उन्हें एनीमिया की बीमारी से बचाया जा सके। अगर माँ स्वस्थ रहेगी तो होने वाले बच्चे का वजन भी सही होगा।
इस तरह से प्रसव के लिए गर्भवती महिला को अस्पताल लेकर जाना चाहिए। उन्हें घर में प्रसव के दौरान थोड़ी-सी भी चूक से माँ और बच्चे दोनों की जान जा सकती हैं। इसलिए प्रसव डॉक्टरों की देख-रेख में ही करवाना चाहिए । घर में प्रसव करवाने से उतनी साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता, जिससे कई प्रकार के इंफेक्शन्स लगने का खतरा रहता है। जो माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक होता है।