सुमित की चिन्ता का कारण था किताबों का समय पर न मिलना । उसकी किताबें बाजार में नहीं मिलती थी, इसलिए वह चाहकर भी अपनो किताबें बाजार से नहीं खरीद सकता था। किताब नहीं मिलने की वजह से वह कुछ पढ़ाई भी नहीं कर पाया था और उसे इस बात का डर था कि आने वाले अर्द्धवार्षिक परीक्षा में वह क्या लिखेगा। यदि सुमित की जगह मैं भी होती तो मेरे मन में भी वही विचार आता जो सुमित के मन में आया था।