जलियाँवाला हत्याकाण्ड के प्रभावस्वरूप सारे देश में रोष की लहर फैल गई।
अब भारत का राष्ट्रीय आन्दोलन जनता का संग्राम बन गया।
इसमें श्रमिक, किसान, विद्यार्थी आदि भी शामिल होने लगे।
अब स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत जोश भर गया तथा संघर्ष की गति बहुत तीव्र हो गई।