सविनय अवज्ञा आन्दोलन के समय मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग कांग्रेस के साथ किसी संयुक्त संघर्ष के लिए तैयार नहीं था क्योंकि उन्हें भय था कि यदि भारत में बहुसंख्यक हिन्दुओं का प्रभुत्व स्थापित हो गया, तो अल्पसंख्यकों की संस्कृति और पहचान नष्ट हो जाएगी। अतः इस आन्दोलन में मुसलमानों के एक बड़े वर्ग ने भाग नहीं लिया।