1834 ई. में प्रशा की पहल पर 'जॉलवेराइन' नामक एक शुल्क संघ की स्थापना हुई थी जिसमें अधिकांश जर्मन राज्य शामिल हो गए थे। इस संघ ने आर्थिक अवरोधों को समाप्त कर दिया और मुद्राओं की संख्या दो कर दी जो उससे पहले तीस से ऊपर थी। इससे आर्थिक दृष्टि से समस्त जर्मनी एक हो गया।