किसी छोटे छड़ चुम्बक का चुम्बकीय आघूर्ण $0.48 \ JT^{-1}$ है। चुम्बक के केन्द्र से $10$ सेमी. की दूरी पर स्थित किसी बिन्दु पर इसके चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण एवं दिशा बताइए यदि यह बिन्दु
चुम्बक के अक्ष पर स्थित हो
चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर रिथत हो।
Exercise - 5.12
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एक छोटा छड़ चुम्बक जिसका चुम्बकीय आघूर्ण $5.25 \times 10^{-2}JT^{-1}$ है, इस प्रकार रखा है कि इसका अक्ष पृथ्वी की दिशा के लम्बवत है। चुम्बक के केन्द्र से कितनी दूरी पर, परिणामी क्षेत्र पृथ्वी के क्षेत्र की दिशा से $45^\circ$ का कोण बनाएगा, यदि हम
अभिलम्ब समद्विभाजक पर देखें,
अक्ष पर देखें। इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण $0.42\ G$ है। प्रयुक्त दूरियों की तुलना में चुम्बक की लम्बाई की उपेक्षा कर सकते हैं।
एक छोटा छड़ चुम्बक जो एकसमान बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र $0.25 \ T$ के साथ $30^\circ$ का कोण बनाता है, पर $4.5 \times 10^{-2} \mathrm{~J}$ का बल आघूर्ण लगता है। चुम्बक के चुम्बकीय आघूर्ण का परिमाण क्या है?
यदि एक टोरॉइड में बिस्मथ का क्रोड लगाया जाए तो इसके अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र उस स्थिति की तुलना में (किंचित) कम होगा या (किंचित) ज्यादा होगा, जबकि क्रोड खाली हो?
एक जगह से दूसरी जगह जाने पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र बदलता है। क्या यह समय के साथ भी बदलता है? यदि हाँ, तो कितने समय अंतराल पर इसमें पर्याप्त परिवर्तन होते हैं?
एक सदिश को पूर्ण रूप से व्यक्त करने के लिए तीन राशियों की आवश्यकता होती है। उन तीन स्वतंत्र राशियों के नाम लिखिए जो परम्परागत रूप से पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त होती हैं।
एक लम्बे, सीधे, क्षैतिज केबल में $2.5\ A$ धारा, $10^\circ$ दक्षिण$-$पश्चिम से $10^\circ$ उत्तर$-$पूर्व की ओर प्रवाहित हो रही है। इस स्थान पर चुम्बकीय याम्योत्तर भौगोलिक याम्योत्तर के $10^\circ$ पश्चिम में है। यहाँ पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र $0.33\ G$ एवं नति कोण शून्य है। उदासीन बिन्दुओं की रेखा निर्धारित कीजिए। $($केबल की मोटाई की उपेक्षा कर सकते हैं$)।$
$($उदासीन बिन्दुओं पर, धारावाही केबल द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र, पृथ्वी की क्षैतिज घटक के चुम्बकीय क्षेत्र के समान एवं विपरीत दिशा में होता है।$)$
एक वृत्ताकार कुंडली जिसमें $16$ फेरे हैं। जिसकी त्रिज्या $10$ सेमी. है और जिसमें $75\ A$ धारा प्रवाहित हो रही है, इस प्रकार रखी है कि इसका तल, $5.0 \times 10^{-2}\ T$ परिमाण वाले बाह्य क्षेत्र के लम्बवत् है। कुंडली, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत और इसके अपने तल में स्थित एक अक्ष के चारों तरफ घूमने के लिए स्वतंत्र है। यदि कुंडली को जरा$-$सा घुमा कर छोड़ दिया जाए तो यह अपने स्थायी संतुलनावस्था के इधर$-$उधर $2.0 \mathrm{~s}^{-1}$ की आवृत्ति से दोलन करती है। कुंडली का अपने घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व$-$आघूर्ण क्या है।