किसी LC परिपथ में 20mH का एक प्रेरक तथा 50 $\mu$ F का एक संधारित्र है जिस पर प्रारम्भिक आवेश 10 mC है। परिपथ का प्रतिरोध नगण्य है। मान लीजिए कि वह क्षण जिस पर परिपथ बन्द किया जाता है t = 0 है।
प्रारम्भ में कुल कितनी ऊर्जा संचित है? क्या यह LC दोलनों की अवधि में संरक्षित है?
परिपथ की मूल आवृत्ति क्या है?
किसी समय पर संचित ऊर्जा
पूरी तरह से वैद्युत है (अर्थात् वह संधारित्र में संचित है)?
पूरी तरह से चुम्बकीय है (अर्थात् प्रेरक से संचित है)?
किन समयों पर सम्पूर्ण ऊर्जा प्रेरक एवं संधारित्र के मध्य समान रूप से विभाजित है?
यदि एक प्रतिरोधक को परिपथ में लगाया जाए तो कितनी ऊर्जा अन्तत: ऊष्मा के रूप में क्षयित होगी?
Exercise - 7.12
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किसी हवाई अड्डे पर सुरक्षा कारणों से, किसी व्यक्ति को धातु-संसूचक के द्वार पथ से गुजारा जाता है। यदि उसके पास कोई धातु से बनी वस्तु है, तो धातु संसूचक से एक ध्वनि निकलने लगती है। यह संसूचक किस सिद्धांत पर कार्य करता है?
एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ के लिए जिसमें L = 3.0 H, C = 27 $\mu$ F तथा R = 7.4 $\Omega $अनुनादी आवृत्ति तथा Q कारक निकालिए। परिपथ के अनुनाद की तीक्ष्णता को सुधारने की इच्छा से अर्ध उच्चिष्ठ पर पूर्ण चौड़ाई को 2 गुणक द्वारा घटा दिया जाता है। इसके लिए उचित उपाय सुझाइए।
स्रोत की आवृत्ति को एक श्रेणीबद्ध LCR परिपथ की अनुनादी आवृत्ति के बराबर रखते हुए तीन अवयवों L,C को समान्तरक्रम में लगाते हैं। यह दर्शाइए कि समान्तर LCR परिपथ में इस आवृत्ति पर कुल धारा न्यूनतम है। इस आवृत्ति के लिए निर्दिष्ट स्रोत तथा अवयवों के लिए परिपथ की हर शाखा में धारा के rms मान को परिकलित कीजिए।
यदि परिपथ को उच्च आवृत्ति की आपूर्ति (240 V, 10 kHz) से जोड़ा जाता है तो
कुण्डली में अधिकतम धारा कितनी है?
तथा वोल्टेज शीर्ष व धारा शीर्ष के बीच समय-पश्चता (time lag) कितनी है? इससे इस कथन की व्याख्या कीजिए कि अति उच्च आवृत्ति पर किसी परिपथ में प्रेरक लगभग खुले परिपथ के तुल्य होता है। स्थिर अवस्था के पश्चात् किसी dc परिपथ में प्रेरक किस प्रकार का व्यवहार करता है।
एक लैंप से श्रेणीक्रम में जुड़ी चोक को एक dc लाइन से जोड़ा गया हे। लैंप तेजी से चमकता है। चोक में लोहे के क्रोड को प्रवेश कराने पर लैंप को दीप्ति में कोई अन्तर नहीं पड़ता है। यदि एक ac लाइन से लैंप का संयोजन किया जाये तो तदनुसार प्रेक्षणों की प्रागुक्ति कीजिए।