किसी स्थान के चुंबकीय याम्योत्तर में पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिज अवयव $0.26 G$ है एवं नमन कोण $60^\circ$ है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र क्या है?
उदाहरण - 5.9
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Similar Questions

  • 1
    क्षैतिज तल में रखे एक छोटे छड़ चुम्बक का अक्ष, चुम्बकीय उत्तर-दक्षिण दिशा के अनुदिश है। सन्तुलन बिन्दु चुम्बक के अक्ष पर, इसके केन्द्र से 14 सेमी. दूर स्थित है। इस स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र 0.36 G एवं नति कोण शून्य है। चुम्बक के अभिलम्ब समद्विभाजक पर इसके केन्द्र से उतनी ही दूर (14 सेमी.) स्थित किसी बिन्दु पर परिणामी चुम्बकीय क्षेत्र क्या होगा?
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  • 2
    एक परिनालिका जिसमें पास$-$पास $2000$ फेरे लपेटे गए हैं तथा जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $1.6 \times 10^{-4} m^2$ है और जिसमें $4.0\ A$ की धारा प्रवाहित हो रही है, इसके केन्द्र से इस प्रकार लटकायी गई है कि यह एक क्षैतिज तल में घूम सके।
    1. परिनालिका के चुम्बकीय आघूर्ण का मान क्या है$?$
    2. परिनालिका पर लगने वाला बल एवं बल आघूर्ण क्या है, यदि इस पर, इसकी अक्ष से $30^\circ$ का कोण बनाता हुआ $7.5 \times 10^{-2}\ T$ का एकसमान क्षैतिज चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए$?$
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  • 3
    एक परिनालिका के क्रोड में भरे पदार्थ की आपेक्षिक चुंबकशीलता $400$ है। परिनालिका के विद्युतीय रूप से पृथक्कृत फेरों में $2\ A$ की धारा प्रवाहित हो रही है। यदि इसकी प्रति $1m$ लंबाई में फेरों की संख्या $1000$ है तो
    1. $H,$
    2. $M,$
    3. $B$ एवं
    4. चुंबककारी धारा $ I_m$
      की गणना कीजिए।
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  • 4
    लौह चुंबकीय पदार्थ लोहे में कोई डोमेन $10^{-4}\ m$ भुजा वाले घन के रूप में है। डोमेन में लौह परमाणुओं की संख्या, अधिकतम संभावित चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण और इसके चुंबकन का मान ज्ञात कीजिए। लोहे का परमाण्विक द्रव्यमान $55\  g\  mole$ और इसका घनत्व $7.9\  g\ cm^3$ है। यह मान लीजिए कि प्रत्येक लौह परमाणु का चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण $9.27 \times 10^{-24}\  A\  m^2$ है।
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  • 5
    एक चुम्बकीय सुई चुम्बकीय याम्योत्तर के समान्तर एक ऊर्ध्वाधर तल में घूमने के लिए स्वतंत्र है। इसका उत्तरी धुव क्षैतिज से $22^\circ$ के कोण पर नीचे की ओर झुका है। इस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज अवयव का मान $0.35\ G$ है। इस स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का परिमाण ज्ञात कीजिए।
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  • 6
    एक परिनालिका में पास-पास लपेटे गए 800 फेरे हैं तथा इसका अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 2.5 $\times 10^{-4} \mathrm{~m}^{2} $ है और इसमें 3.0 A धारा प्रवाहित हो रही है। समझाइए कि किस अर्थ में यह परिनालिका एक छड़ चुम्बक की तरह व्यवहार करती है? इसके साथ जुड़ा हुआ चुम्बकीय आघूर्ण कितना है?
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  • 7
    विषुवत रेखा पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का परिमाण लगभग 0.4 G है। पृथ्वी के चुंबक के द्विध्रुव आघूर्ण की गणना कीजिए।
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  • 8
    एक छोटे छड़ चुंबक को जब $800\ G$ के बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में इस तरह रखा जाता है कि इसकी अक्ष क्षेत्र से $30^\circ$ का कोण बनाए, तो यह $0.016\ N\ m$ का बलआघूर्ण अनुभव करता है।
    1. चुंबक का चुंबकीय आघूर्ण कितना है$?$
    2. सर्वाधिक स्थायी स्थिति से सर्वाधिक अस्थायी स्थिति तक इसको घुमाने में कितना कार्य करना पड़ेगा$?$
    3. छड़ चुंबक को यदि एक परिनालिका से प्रतिस्थापित कर दें जिसमें $1000$ फेरे हों, जिसके अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल $2 \times 10^{-4}\ m^2$ हो और जिसका चुंबकीय आघूर्ण उतना ही हो जितना छड़ चुंबक का है, तो परिनालिका में प्रवाहित होने वाली धारा ज्ञात कीजिए।
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  • 9
    $5 \ cm$ लंबाई के छड़ चुंबक के केंद्र से $50 \ cm$ की दूरी पर स्थित बिंदु पर, विषुवतीय एवं अक्षीय स्थितियों के लिए चुंबकीय क्षेत्र का परिकलन कीजिए। छड़ चुंबक का चुंबकीय आघूर्ण $0.40 A m^2$, जैसा कि उदाहरण $5.2$ में है।
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  • 10
    एक परिनालिका ऊर्ध्वाधर दिशा के परितः घूमने के लिए स्वतंत्र हो और इस पर क्षैतिज दिशा में एक $0.25\ T$ का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए, तो इस परिनालिका पर लगने वाले बल आघूर्ण का परिमाण उस समय क्या होगा, जब इसकी अक्ष आरोपित क्षेत्र की दिशा से $30^\circ$ का कोण बना रही हो?
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