किसी उभयनिष्ठ उत्सर्जक प्रवर्धक की वोल्टता लब्बि $50$ , निवेश प्रतिबाधा $100 \Omega$ और निर्गत प्रतिबाधा $200 \Omega$ है। प्रवर्धक की शक्ति लब्धि है
[2010]
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शक्ति लाभ $=$ विभव लाभ $\times$ धारा लाभ
$ =V_G \cdot I_G=\frac{V_0}{V_i} \cdot \frac{I_0}{I_i}$
$=\frac{V_0^2}{V_i^2} \cdot \frac{R_i}{R_0}=50 \times 50 \times \frac{100}{200}$
$=\frac{2500}{2}=1250 $
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एक अर्द्धचालक उपकरण के श्रेणी क्रम में एक प्रतिरोध तथा एक बैटरी को जोड़ा गया है तो सर्किट में धारा प्रवाहित होती है। यदि बैटरी के ध्रुवों को उलट दिया जाए तो धारा लगभग शून्य हो जाती है। उपकरण हो सकता है
$500 K$ ताप पर शुद्ध सिलिकन में इलेक्ट्रॉनों की संख्या$\left( n _{ e }\right)$ तथा होलों की संख्या $\left( n _{ h }\right)$ दोनों की ही सांद्रता $1.5 \times 10^{16} m ^{-3}$ है। इंडियम द्वारा मादन $($ अपमिश्रण $)$ करने पर $n _{ h }$ का मान बढ़कर $4.5 \times 10^{22} m ^{-3}$ हो जाता है तो मादित अर्द्ध चालक है: