किसी विशेष लोकस पर 'A' एलील की बारम्बारता $0.6$ है जबकि ' $a$ ' की $0.4$ है। यदि साम्यावस्था में संयुग्मन अनियमित ढंग से कराया जाए तो विषम युग्मनजों की बारम्बारता होगी-
[2005]
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(d) एलील बारम्बारता को ज्ञात करने का गणितीय सूत्र $p + q =1$ है, जहां $p$ प्रभावी एलील $q$ अप्रभावी एलील की बारम्बारता का प्रतिनिधित्व करता है। जीनरूप बारम्बारता को ज्ञात करने के लिए, हार्डी-वीनबर्ग का नियम $= p ^2+2 pq + q ^2=1$ होता है। जहां $p ^2=$ समयुग्मनजी प्रभावी $2 pq =$ असमयुग्मनजी प्रभावी $q ^2=$ समयुग्मनजी अप्रभावी असमयुग्मनजी जीवों की बारम्बारता है $ =2 \times 0.6 \times 0.4=0.48$
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$XXY$ जीनरूप युक्त ड्रोसोफिला मक्खी मादा होती है जबकि मनुष्य में ऐसा जीनरूप वाला व्यक्ति असामान्य नर (क्लिनफेल्टर सिन्ड्रोम) होता है। यह इस बात का सूचक है कि
एक फलमक्खी लिंग सहलग्न जीनों के लिए विषमयुग्मजी है। इसका एक सामान्य फलमक्खी के साथ संगमन कराने पर नर का विशिष्ट गुणसूत्र अण्ड कोशिकाओं में किस अनुपात में प्रवेश करेगा