कृषि निम्नलिखित कारणों से प्रभावित होती है-
(i) वर्षा पर निर्भरता भारतीय कृषि क्षेत्र का एक-तिहाई भाग ही सिंचित है, शेष क्षेत्र मानसून की बारिश पर निर्भर करती है। कभी अल्पवृष्टि तो कभी अतिवृष्टि फसलों के उत्पादन को प्रभावित कर देते हैं।
(ii) खेतों के छोटे आकार-भारत में छोटे और सीमान्त किसानों की संख्या अधिक है। जमीन के पारिवारिक बँटवारे के कारण खेतों का आकार छोटा होता जा रहा है। चकबंदी के अभाव में भू-जोत बिखरे हैं। छोटे भू-जोत आर्थिक दृष्टि से अलाभकारी होते हैं।
(iii) भूमि का असमान वितरण-भूमि का असमान वितरण से भी भारतीय कृषि प्रभावित है। अंग्रेजी शासन के दौरान भू-राजस्व वसूली के लिए लागू की गई। जमींदारी प्रथा ने किसानों का शोषण किया। स्वतंत्रता के बाद भू-सुधारों की प्रक्रिया शुरू तो हुई लेकिन इसमें गति लाने की आवश्यकता है।
(iv) कृषि ऋण…छोटे किसान बीज, खाद, कीटनाशक, श्रमिक आदि के लिए महाजनों या अन्य संस्थाओं से कर्ज लेते हैं। ऊँची सूद दर, कम उत्पादन, मौसम की बेरूखी, बिचौलियों के कारण किसानों को पर्याप्त लाभ नहीं हो पाता । ऐसी स्थिति में वे ऋण नहीं लौटा पाते । यह इनके कृषि उत्पादन क्षमता को प्रभावित करती है।
(v) कृषि विपणन – अच्छी बाजार व्यवस्था के अभाव में किसान अपने उत्पादों को बिचौलियों व व्यापारियों को सस्ते दामों पर बेचने के लिए बाध्य है जो उनको उचित मूल्य नहीं देते । फसलों की अत्यधिक उत्पादकता को न तो सही ढंग से बाजार में पहुंचा पाते हैं और न ही बिक्री कर पाते हैं। बिचौलिये इस स्थिति का लाभ उठा लेते हैं।