लघु स्तरीय आपदाओं में कुपाचन जैसे-दस्त, हैजा, प्लेग, कालाजार, मलेरिया तथा तीव्र ज्वर जैसी संक्रामक अथवा महामारी होने वाली बीमारियाँ हो सकती हैं। इन बीमारियों के होने के निम्नलिखित कारण हैं
- लघु स्तरीय आपदायें मुख्यतः खान-पान और जीवन शैली को स्वस्थ रूप से संचालित न करने से उत्पन्न होते हैं।
- गरीब परिवारों में भोजन की समस्या होती है। कभी-कभी वे ऐसे पदार्थ खाने के लिए विवश होते हैं जो या तो अपाच्य होता है या अखाद्य । इससे पेट की बीमारियाँ हो जाती हैं।
- एक कारण यह भी है कि जो भी भोजन उपलब्ध होता है उसे जानकारी अथवा समय के अभाव में ठीक ढंग से प्राप्त नहीं करते हैं । जैसे गर्म भोजन करने से और गर्म जल को ठंढा कर पीने से इस प्रकार की बीमारियों की संभावना नहीं के बराबर रहती है।
- दूषित जल एवं हवा की गंदगी से हैजा, प्लेग, मलेरिया आदि रोग फैलते हैं।
लघु स्तरीय आपदाओं से बचाव के तरीके
- प्रारंभिक प्रबंधन की व्यवस्था पारिवारिक स्तर पर ही होनी चाहिए। जैसे-नमक और चीनी का घोल देना, नींबू चूसना, लौंग को दाँतों तले दबाकर रखना चाहिए। ऐसा करने से आरम्भ में बीमारी पर नियंत्रण हो सकता है।
- गाँवों में स्वास्थ केन्द्र नहीं के बराबर होते हैं। अतः गाँव में जिसके पास सवारी है.उसे बीमार लोगों की मदद करनी चाहिए। जिसके पास मोबाइल फोन हो उसे तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र को सूचित कर देना चाहिए।
- इलेक्ट्रॉल पाउडर को घर में रखना चाहिए अगर नहीं है तो नमक चीनी का घोल बनाकर मरीजों को देते रहना चाहिए।
- स्वयं सेवी संस्थाएँ या ग्राम पंचायतें नुक्कड़ नाटकों या परिचर्चाओं द्वारा लोगों को इस संबंध में सावधानी रखने के लिए जागरूक कर सकती
- हैजा, प्लेग आदि बीमारियाँ शीघ्र ही महामारी का रूप धारण कर लेते हैं अतः निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र को सूचित कर देना चाहिए ।
- कुछ बीमारियों के लक्षण जानना आवश्यक है जिससे उनकी पहचान शीघ्र हो सके जैसे-मलेरिया, कालाजार आदि, ये गंदे जल तथा गंदी हवा से फैलते हैं अत: उनसे बचना चाहिए और इलाज की सुविधा के लिए बड़े अस्पतालों में जाना चाहिए।