लोहा-इस्पात उद्योग
लोहा-इस्पात उद्योग एक महत्त्वपूर्ण उद्योग है। इस उद्योग के बिना अन्य उद्योगों का विकास सम्भव नहीं है अतः इस उद्योग को आधुनिक उद्योगों का मेरुदण्ड कहा जाता है। लौह अयस्क से कई चरणों में इस्पात का निर्माण होता है। इस्पात को मिलाकर कई मिश्र धातुओं का निर्माण किया जाता है। लोहा-इस्पात उद्योग विश्व में जर्मनी, संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान और रूस में स्थापित है। अधिकांश वस्तुएँ जो हम प्रयोग में लेते हैं वे प्रायः इस्पात से ही बनी होती हैं, जैसे-मशीनें, औजार, उपकरण, जहाज, रेल इत्यादि।
सन् 1800 से पहले लोहा-इस्पात उद्योग वहीं स्थापित किया जाता था जहाँ कच्चा माल समीप मिलता हो तथा शक्ति साधनों की आपूर्ति हो। 1950 के बाद यह उद्योग बंदरगाह के समीप स्थापित हुआ ताकि लौह खनिज बाहर से आयात किया जा सके। भारत में लोहा और इस्पात उद्योग को कच्चे माल, सस्ता श्रम, परिवहन और बाजार का लाभ मिलता है। प्रमुख इस्पात केन्द्र भिलाई, दुर्गापुर, बर्नपुर, जमशेदपुर, राउरकेला और बोकारो हैं जो पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ राज्यों में स्थापित हैं। अन्य प्रमुख केन्द्र हैं- भद्रावती, विजयनगर (कर्नाटक), विशाखापट्टनम (आन्ध्र प्रदेश), सलेम (तमिलनाडु) ।
टाटा लोहा और इस्पात उद्योग (टिस्को), जमशेदपुर (TISCO)- 1947 से पहले भारत में केवल टाटा आयरन एंड स्टील कम्पनी (टिस्को) स्थापित थी। यह निजी क्षेत्र में थी। यह कम्पनी 1907 में साकची में स्थापित की गई। यह स्वर्णरेखा और खरकाई नदियों के संगम पर झारखंड में स्थित है। भौगोलिक दृष्टि से जमशेदपुर देश में सबसे प्रमुख इस्पात केन्द्र है और सबसे अधिक सुविधाजनक स्थिति में है। जमशेदपुर में लोहा-इस्पात उद्योग के बाद कई और उद्योग स्थापित हो गये हैं जो रसायन, लोकोमोटिव, पुर्जे, कृषि उपकरण आदि का निर्माण करते हैं।
पिट्सबर्ग- यह संयुक्त राज्य अमेरिका का महत्त्वपूर्ण इस्पात केन्द्र है। इसे भी अपनी स्थिति का लाभ पहुँचता है। कुछ कच्चा माल जैसे कोयला समीप ही मिलता है। लौह- अयस्क 1500 कि.मी. दूर मिनिसोटा से मँगाया जाता है। पिट्सबर्ग क्षेत्र में इस्पात मिलों के अतिरिक्त अन्य कई उद्योग भी स्थापित हैं जिनमें कच्चे माल के रूप में इस्पात का प्रयोग किया जाता है।