महिला सशक्तीकरण हेतु राजस्थान सरकार के प्रयासमहिला सशक्तीकरण हेतु राजस्थान सरकार के प्रयासों का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है,
(1) राज्य महिला आयोग-राज्य सरकार ने 15 मई, 1999 को राजस्थान राज्य महिला आयोग का गठन किया। यह आयोग जनता से सीधी सुनवाई, जन संवाद, शिकायत तथा समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों पर संज्ञान के आधार पर कार्यवाही करता है। राज्य महिला आयोग में एक अध्यक्ष व तीन सदस्य होते हैं। अध्यक्ष का कार्यकाल 3 वर्ष होता है। यह आयोग महिलाओं के प्रति अनुचित व्यवहार की जाँच, राज्य लोक सेवाओं में महिलओं के प्रति भेदभाव दूर करना तथा महिलाओं की दशा में सुधार की दृष्टि से प्रभावी कदम उठाता है।
(2) महिला स्वयं सहायता समूह कर्यक्रम-महिलाओं को रोजगार देने एवं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें 10 से 20 महिलाएँ स्वयं अपने निर्णय लेकर एक समूह बनाती हैं। अपनी छोटी छोटी बचत के माध्यम से स्वावलंबन की प्रवृत्तियाँ विकसित करती हैं और स्वरोजगार की राह पर आगे बढ़ती हैं। इन समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों की बिक्री के लिए सरकार अवसर उपलब्ध कराती है।
(3)महिला घरेलू हिंसा (निरोधक) अधिनियम, 2005महिलाओं को घरेलू हिंसा से संरक्षण और तुरंत राहत देने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा यह अधिनियम लागू किया गया है। इस अधिनियम में घरेलू हिंसा को व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है।
(4) राजीव गाँधी किशोरी सशक्तीकरण योजनासबला-इस योजना के अन्तर्गत किशोरियों के पोषण और स्वास्थ्य स्तर को सुधारने, साक्षरता, कौशल विकास तथा सामाजिक मुद्दों पर बेहतर समझ विकसित करने का प्रयास किया जाता है। यह योजना 11 से 18 वर्ष की विद्यालय न जाने वाली अथवा बीच में विद्यालय छोड़ देने वाली किशोर बालिकाओं के लिए संचालित की जा रही है।
(5) बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ-इसकी शुरुआत वर्ष 2015 में देशभर में घटते बाल लिंगानुपात को ध्यान में रखकर की गई थी। इसके तहत कन्या भ्रूण हत्या रोकने, विद्यालयों में लड़कियों की संख्या बढ़ाने, विद्यालय छोड़ने वाली छात्राओं की संख्या को कम करने, शिक्षा के अधिकार के नियमों को लागू करने और लड़कियों के लिए शौचालयों के निर्माण में वृद्धि करने जैसे उद्देश्य निर्धारित किए गए हैं।
(6) अन्य कानून-महिला सशक्तीकरण के लिए कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण कानून भी विद्यमान हैं। यथा,
- हिन्दू उत्तराधिकार, दत्तक ग्रहण एवं संरक्षण अधिनियम, 1956 (संशोधन 2005)
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961
- बाल विवाह निषेध अधिनियम, 1925 (संशोधन 1986, 2006)