धर्म और संस्कृति के नाम पर महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता था। उन्हें शिक्षा से वंचित रखा जाता था। रूढ़िवादी एवं संकुचित विचारधारा केवल शिक्षा के द्वारा समाप्त की जा सकती थी, अत: सामाजिक सुधारकों ने महिला शिक्षा पर बल दिया। अशिक्षित व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए आवाज नहीं उठा सकता ।
वह अपने साथ हो रहे किसी भी असमानता के खिलाफ सशक्त विरोध नहीं कर सकता । अत: महिलाओं में असमानता की स्थिति मुख्यत: उनके अशिक्षित रहने के कारण थी। फिर धर्म व संस्कृति का हवाला देकर उन्हें पर्दे में रखा जाता था । वे सामाजिक जीवन में भाग नहीं ले सकती थीं। विधवाओं को दुबारा विवाह करने की इजाजत नहीं थी। मृत पति के साथ उन्हें भी सती होना यानी पति के संग जलकर मरना पड़ता था।