मखाना उत्पादक किसान एवं उनसे जुड़े मजदूरों के काम बहुत कठिन होते हैं। मखाना उत्पादन करना, उनकी गुंडियों तालाब से निकालकर फिर उनका लावा तैयार करना बहुत मुश्किल का काम होता है, इसके लिए मजदूरों का कुशल होना आवश्यक है। कुछ छोटे किसान ही कर्ज लेकर मखाना उत्पादन करते हैं।
छोटे किसानों को पैसे की आवश्यकता तुरंत होती है और उनके पास जगह की कमी के कारण वे मखाने को अपने पास रखकर मूल्य बढ़ने पर बेच भी नहीं सकते। इसी कारण वे लोग अपना मखाना आढ़तिए को बेच देते हैं, जिससे उन्हें मखाने का सही मूल्य नहीं मिलता। जिससे उन्हें बहुत नुकसान होता है और उन्हें अपने मेहनत का फल भी नहीं मिलता।
इसी तरह गुड़ियो से लावा निकालने का काम करने वालों और गुड़ियो से लावा निकालने वाली को भी उनकी मेहनत के हिसाब से मजदूरी नहीं मिलती। 2.5 किलो गुड़ी का लावा निकालने पर उन्हें आधा किलो गुड़ी दी जाती है। नहीं उनके साथ न्याय नहीं होता, उन्हें उनके मेहनत के हिसाब से लाभ या मजदूरी नहीं मिलती।