सलाम ने सोचा था कि इस बार बाढ़ नहीं आने की वजह से मखाना की उपज अच्छी होगी। उसने इसकी उपज पर काफी मेहनत भी की थी। फिर उसने सुना था कि मखाना का बाजार निरन्तर बढ़ रहा है। मखाना आधारित उद्योगों में मखाना से विभिन्न प्रकार कीमती उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं, इसका लाभ उसे भी मिलेगा और उसे इस बार मखाने की अच्छी कीमत मिलेगी और अधिक पैसा मिलने पर वह अपने टूटे घर की मरम्मत भी करवा – लंगी और अगले साल बिंना कर्ज लिए ही मखाना ही खेती कर लेगी।
पर जब उसने आढ़तिया को अपना मखाना दिया तो आढ़तिया ने उसे 200 किलो मखाना के लिए 100 रु प्रति किलो के हिसाब से 2000 रु. दिए और उसने बताया कि मखाना का उत्पादन बहुत अच्छा हआ है. इसलिए मखाना का मूल्य नहीं बढ़ा । इस कारण अब वह अपना सोचा हुआ काम जैसे-घर की मरम्मत और बिना कर्ज के मखाने की खेती नहीं कर पाएगी। क्योंकि 20000 में से 15000 का खर्च उसे मखाना की खेती पर आया उसे सिर्फ 500 रूका फायदा हुआ।