मंझोले एवं बड़े किसानों के पास अधिक भूमि होती है अर्थात् उनकी जोतों का आकार काफी बड़ा होता है जिससे वे उत्पादन अधिक करते हैं। उत्पादन अधिक होने से वे इसे बाजार में बेच कर काफी पूँजी जमा करते हैं जिसका प्रयोग वे उत्पादन की आधुनिक विधियों में करते हैं । इनकी पूँजी छोटे किसानों से भिन्न होती हैं क्योंकि छोटे किसानों के पास भूमि कम होने के कारण उत्पादन उनके भरण-पोषण के लिए भी कम पड़ता हैं । उन्हें भूमि में अधिकार प्राप्त नहीं होने के कारण बचत नहीं होती इसलिए खेती के लिए उन्हें पूँजी बड़े किसानों या साहकारों से उधार लेना होता है जिस पर उन्हें व्याज भी चुकाना पड़ता है।