उत्पादन के साधनों में संगठन एवं साहसी की अहम भूमिका है। क्योंकि भूमि, श्रम तथा पूँजी के होते हुए भी समुचित संगठन और साहसी के बिना उत्पादन संभव नहीं है। पहले संगठन पर विचार करें-भूमि, श्रम तथा पूँजी को एकत्रित कर संगठनकर्ता उसे व्यवस्थित ढंग से उपयोग करता है और उत्पादन का कार्य होता है । इसीलिए संगठन को उत्पादन प्रक्रिया का एक सक्रिय साधन माना गया है।
उत्पादन का कार्य जोखिम भरा हुआ होता है । उत्पादन में लाभ होगा या हानि एक साहसी ऐसा नहीं सोचता है यदि उत्पादन में लगातार घाटा ही होता रहे तो साहसी उत्पादन करने का साहस नहीं छोड़ेगा। साहसी सोच समझकर उत्पादन में पूँजी लगाता है।