(a) मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी समरूप अणु होते हैं। इनकी प्राप्ति निश्चित या लाक्षिक प्रतिजन को चूहे में प्रवेश कराकर की जाती है। कुछ समय पश्चात प्रतिरक्षी उत्पादन करने वाली प्लीहा कोशाएं पृथक कर ली जाती है तथा माईलोमा कोशाओं से समेकन कराकर मोनोक्लोनल प्रतिरक्षी उत्पन्न की जाती है।