(a) विभिन्न प्रजातियों के परागकण विपरीत स्वभाव के टोते टैं, अत: उनका अंकुरण नही टो पाता है। यदि पराग-वर्तिकाग्र अंतःक्रिया एक दूसरे के सटयोगात्मक हो तो परागकण जलस्राव करता है तथा अंकुरित/दोने ल्ताता है/यद्य प्रक्रिमा परागकण के वर्तिकाग्र पर सहुंचने के कुछ समयह बाद ही शुरू हो जाती टै।