पूर्व में जीवाश्मों की आयु, रेडियो-कार्बन विधि द्वारा या चट्टानों में उपस्थित रेडियो-सक्रिय तत्वों के अध्ययन विधि द्वारा निर्धारित की जाती थी। वर्तमान में प्रयोग कि गयी अधिक शुद्ध विधियां जिन्होंने विभिन्न जंतुओं के विकासीय इतिहास के पुनर्लेखन में सहायता की में शामिल होती है-
[2004]
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(c) ESR इलेक्ट्रान-चक्रण अनुनाद में, क्रिस्टल बैंड मैप में उपस्थित आवेशों को नापा जाता है। ESR का आकार मूल सिद्धान्त वही है जो ल्यूमिनसेंस का होता है। इलेक्ट्रॉन फंस जाते है तथा आयननकारी विकिरण के कारण संचित हो जाते हैं जैसे- दांतों के इनेमल की डेटिंग
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