विद्यालय में छात्र संसद का प्रारुप तैयार किया गया है, संविधान भी लिखा जा चुका है। छात्र संसद में प्रत्येक विभागों के प्रतिनिधि सांसद कहे जायेंगे। सीनेट में इस बात पर चर्चा होगी कि सर्वोच पद को क्या नाम दिया जाए। सीनेट में महासचिव, अध्यक्ष, स्पीकर, चेयरपरसन या प्रधानमंत्री नाम रखे जाएंगे। छात्र संसद के गठन से विद्यार्थियों का हस्तक्षेप विद्यालय के प्रशासनिक कार्यों में भी होगा। विशेष परिस्थितियों में सीनेट में छात्र प्रतिनिधि भी बुलाए जाएंगे। छात्र संसद गठन के बाद छात्र अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन के बजाय प्रतिनिधियों को अपनी परेशानियों से अवगत कराएंगे।
छात्र संसद का ढाँचा इस तरह से होगा: छात्र संसद का ढाँचा भारतीय संसद से मिलता-जुलता रहेगा। विद्यालय के सभी विभागों के विद्यार्थी मिलकर 60 सांसद चुनेंगे। इन 60 लोगों में तकरीबन 12 से 15 कमेटी बनेगी। चुने हुए विद्यार्थी सांसद, सर्वोच्च पद का चुनाव करेंगे। कमेटी छात्रों से संबंधित कार्यों की मॉनीटरिंग करेगी। संसद का कार्यकाल 1 वर्ष का होगा। विद्यालय प्रंसिपल संसद की निगरानी करेंगे।
योग्यता: चुनाव केवल मेधावी छात्र ही लड़ सकेंगे। चुनाव लड़ने के लिए छात्र को 7 वर्ष पुराना विद्यार्थी होना आवश्यक होगा। उद्देश्य इतना ही है कि चुनाव के लिए छात्रों की पढ़ाई प्रभावित न हो।