(i) शीर्ष-जन्तुओं के शुक्राणुओं के सिर में एक एक्रोसोम व एक केन्द्रक पाया जाता है।
एक्रोसोम (Acrosome)- शुक्राणु के शीर्ष भाग में एक टोपीनुमा संरचना पाई जाती हैं जिसे एक्रोसोम या अग्रपिंडक (Acrosome) कहते हैं। मनुष्य में एक पतली आच्छद के रूप में होता है। एक्रोसोम गॉल्जीकाय से विकसित होता है। इसके चारों और एक्रोसोमल झिल्ली (Acrosomal membrane) पाई जाती हैं। इसमें स्पर्म लाइसिन (sperm lysin) एन्जाइम्स पाये जाते हैं जो निषेचन के समय अण्डाणु की झिल्ली को गला देते हैं, जिससे शुक्राणु, अण्डाणु में प्रवेश कर सके। स्तनधारियों में यह हाएलुरोनिडेज (Hyaluronidase) एन्जाइम का स्रावण करता है।
शुक्राणु का सिर दो कार्य करता है, पहला निषेचन के समय अण्डाणु की झिल्ली को गलाना, दूसरा नर के आनुवंशिक गुणों को अण्डाणु तक पहुँचाना।
(ii) मध्य खण्ड (Middle piece)- ग्रीवा के नीचे के भाग में अक्षीय तन्तु (Axial filament) के चारों और माइटोकॉन्ड्रिया पाये जाते हैं। माइटोकॉन्ड्रिया के चारों और गाढ़ा कोशिकाद्रव्य एक पर्त के रूप में पाया जाता हैं, जिसे मेनचैट (Manchette) कहते हैं। कोशिकाद्रव्य के चारों और प्लाज्मा झिल्ली पाई जाती है। माइटोकॉन्ड्रिया अक्षीय तन्तु के चारों ओर सर्पिलाकार कुण्डलनों के रूप में पाये जाते हैं, जिसे निबेनकर्न (Nebenkern) कहते हैं। माइटोकॉन्ड्रिया शुक्राणु को गति के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।
(iii) पूंछ (Tail)- मध्य खण्ड के बाद का लम्बा संकरा भाग पूंछ कहलाता है। इसे अक्षीय तन्तु, कोशिकाद्रव्यी आवरण व प्लाज्मा झिल्ली बनाते हैं। इसके दो भाग होते हैं, मुख्य खण्ड (Main piece) व अन्त्य खण्ड (End piece) ।
अक्षीय तन्तु पूँछ में केन्द्रीय क्रोड (Central core) का निर्माण करता है। पूँछ के मुख्य खण्ड में केन्द्रीय क्रोड के चारों और कोशिका द्रव्य का एक मोटा आवरण पाया जाता है, जबकि अन्त्य खण्ड में इसका (कोशिका द्रव्य का) अभाव होता है। इसे पूँछ (Tail) का अनावतरित भाग भी कहते हैं। पूँछ की तरंगति (Undulating) गतियों द्वारा शुक्राणु द्रव्य माध्यम में गति करता है, और अण्डाणु तक पहुँचता है। अतः पूँछ शुक्राणु को गतिशील बनाती है।