वृषण (Testes)- एक जोड़ी वृषण उदर गुहा के बाहर वृषण कोष में स्थित होते हैं।
→ ये अण्डाकार 4-5 सेमी. लम्बे व 2-3 सेमी. चौड़े होते हैं।
→ इनके चारों ओर एक सघन आवरण पाया जाता है जिसे वृषण सम्पुट (Testicular capsule) कहते हैं।
→ वृषण सम्पुट बाहरी यौनिक स्तर (Tunica vaginalis) तथा भीतरी श्वेत केचुक (Tunica albuginea) स्तर का बना होता है।
→ श्वेत कंचुक (Tunica albuginea) तंतुमय संयोजी ऊतक का बना होता है जो अन्दर की ओर धंसकर वृषण पट्टियों (Septula testes) का निर्माण करता है।
→ वृषण पट्टियों से वृषण ऊतक लगभग 250 वृषण पालिकाओं (Testicu- lar lobules) में विभेदित होता है।
→ प्रत्येक वृपण पालिका में 1-3 शुक्रजनक नलिकाएँ (seminiferous tu- bules) या रेता नलिकाएं पायी जाती हैं। ये नलिकाएं वृषण की संरचनात्मक एवं क्रियात्मक इकाई होती हैं।
→ वृषण पालिकाओं के संयोजी ऊतक में रक्त केशिकाएं, तन्त्रिका तन्तु तथा अन्तराली (Interstitial) या लोडिंग (Icydig) कोशिकाएं होती है।
→ अन्तराली या लीडिंग कोशिकाएं नर हार्मोन पुंजन (Androgens) या टेस्टोस्टीरॉन (Testosterone) का संश्लेषण एवं स्रावण करती हैं।
→ शुक्रजनक नलिकाओं के चारों ओर पतला आवरण ट्यूनिका प्रोपिया (Tunica propria) पाया जाता है।
→ ट्यूनिका प्रोपिया के अन्दर की ओर जनन उपकला स्तर (germinal epithellium) होता है।
→ जनन उपकला स्तर में दो प्रकार की कोशिकाएं होती है- 1. नर जर्म कोशिकाएं (Spermatogonia) 2. सर्वेली कोशिकाएं (Sertoli cells)
→ नर जर्म कोशिकाएं या शुक्राणुजनीय कोशिकाओं से शुक्रजनन द्वारा शुक्राणु बनते हैं।
→ सटॉली कोशिकाएं (Sertoli cells) बड़ी एवं स्तम्भाकार होती है। ये परिवर्धित होते हुए शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करने का कार्य करती है।